श्रीहनुमान् जी भगवान् शिव के अंशावतार हैं... आचार्य नारायण दास जी
हरिद्वार..27 अप्रैल... हरिद्वार सिटी न्यूज़.... इन्द्र कुमार शर्मा... (ब्यूरो चीफ )..ऋषिकेश मायाकुण्ड स्थित श्री भरत मिलाप आश्रम मे देश के अनेक भागों से आये श्रद्धांलुओं को प्रवचन करते हुए आचार्य नारायण दास जी महाराज ने कहा कि प्राय लोक में लोग कहते-सुनते देखे-सुने जाते हैं कि प्रातःकाल श्रीहनुमान् जी नाम नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उस दिन वह आहारादि से वञ्चित हो जाता है। प्रमाण स्वरूप श्रीरामचरितमानस के अन्तर्गत सुन्दर काण्ड की एक चौपाई जो श्रीहनुमान् जी महाराज ने श्रीविभीषण जी से कही है, उसे तर्क रूप में प्रस्तुत कर देते हैं-https://youtu.be/nElm5-DuiWI?feature=shared
*प्रात लेइ जे नाम हमारा।*
*तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा।।*
यहाँ पर श्रीहनुमान् जी का यह कथन बन्दर प्रजाति से सम्बन्धित है, न कि उनके पावननाम से।
विचार करने की बात है, श्रीहनुमान् जी जो भगवान् शिव के अंशावतार हैं, ग्यारहवें रुद्र हैं; फिर भला उनका नाम प्रातः लेने से दैनिक जीवन में; किसी भी सन्दर्भ में प्रतिकूलता क्यों प्रभावी होगी?
भगवान् शिव ही स्वयं श्रीहनुमान् जी के रूप में; अपने प्रभु श्रीराम जी के सेवा हेतु अवतरित हुए हैं।
*जेहि सरीर रति राम सों, सोइ आदरहिं सुतान।*
*रुद्र देह तजि नेह बस, संकर भे हनुमान॥
🌹जय सियाराम🙏
।। सत्यसनातनधर्मो विजयतेतराम्।।