84 लाख जीवो में इंसान कमाता है और उसका कभी पेट नहीं भरता उसके मन की लालसा हमेशा बढ़ती रहती है--- श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज

 हरिद्वार 8 जनवरी 2025 को श्री श्याम वैकुण्ठ धाम श्यामपुर हरिद्वार के परमाध्यक्ष श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने अपने श्री मुख से भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए कहा इस संसार में 84 लाख जीव है जिसमें धन कमाने खाने कमाने की चिंता सिर्फ मनुष्य को अधिक होती है इसी लालसा वस वह धन कमाता है किंतु उसकी जिज्ञासाये इच्छाये ज़रूरतें और अभिलाषाये कभी पूर्ण नहीं होती जरूरतो की पूर्ति से कभी उसका पेट नहीं भरता जो जीव कमाते नहीं है वह सदैव इस चिंता से मुक्त रहते हैं किंतु कभी भूखे नहीं रहते जो कमाता है उसका कभी पेट नहीं भरता कहने का तात्पर्य यह है मनुष्य की इच्छा और जरूरत का कोई अंत नहीं होता एक दिन उसका अंत हो जाता है किंतु उसकी इच्छाये बची रह जाती पैसा वक्त जरूरत पर पूर्ति अवश्य कर देता है किंतु इच्छा  और आवश्यकताओं पर कभी विराम नहीं लग सकता इसलिये अगर संतोष जनक संस्कार से पूर्ण जीवन चाहिये तो मनुष्य को सत्य की संगत करनी चाहिए सत्संग का आयोजन करना चाहिए सत्संग ही सत्य की संगत है जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है इसलिए मनुष्य को कभी अपने आप को बहुत अधिक तनाव नहीं देना चाहिए क्योंकि जिस तरह अंधकार के बाद सूर्य का उदय होना निश्चित होता है ठीक उसी प्रकार मुश्किल वक्त के बाद एक खुशहाल जीवन का आना भी तय होता है धैर्य रखो मन को संतोषवान बनाये जो तुम्हारे भाग्य में लिखा है वह तुम्हें अवश्य मिलेगा मनुष्य जीवन में हरि भजन का होना नितांत आवश्यक है जब आप अपने आप को उलझनों और समस्याओं से घिरा देखें तो ऐसे समय में मौन व मुस्कान एक सफल व्यक्ति के सबसे उत्तम गुण है क्योंकि मौन सभी यानी चुप रहना सभी समस्याओं से दूर रखता है और मुस्कान समस्याओं को सुलझाने में मदद करती है सभी समस्याओं की जननी यह मनुष्य जीभा है अगर इस पर नियंत्रण है तो समस्याये और उलझने खुद ही दूर रहेगी इसलिये जहां भी हरि भजन हो रहा हो सत्संग हो रहा हो उसे अवश्य ग्रहण करें ईर्ष्यालु जलनखोर चुगलखोर व्यक्तियों से सदैव 72 गज की दूरी रखें नहीं तो यह कहावत चरितार्थ होने में समय नहीं लगेगा हम तो डूबेंगे सनम पर तुमको लेकर डूबेंगे इसलिये उच्च संस्कारवान अच्छे लोगों की संगत करें अगर इर्द-गिर्द अच्छे लोगों का बसेरा ना हो तो इससे अच्छा अकेले रहना पसंद करें किंतु कभी भी बुरे लोगों  ईर्ष्यालु जलन खोर दोस्त प्रवृत्ति के लोगों की पल भर भी संगत ना करें अच्छी धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें अपने मन में दूसरों के प्रति सत्कार दया भाव रखें दूसरों की मदद करें यही सत्य की संगत है

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