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Showing posts from March, 2024

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का पंचम दिवस

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हरिद्वार. 31 मार्च..इंद्र कुमार शर्मा.... हरिद्वार सिटी न्यूज़( ब्यूरो चीफ)  ऋषिकेश, मायाकुण्ड, श्रीभरत मिलाप आश्रम में चल रही श्रीमद्भागवत की  कथा के पाँचवे दिन भगवान की बाल लीला, पूतना बध, शकट भञ्जन, तृणावर्त-दमन, अघासुरादि  राक्षसों वध, गोवर्धन धारण,महारास, रुक्मिणी विवाह आदि की कथाएँ सम्पन्न हुईं।  चार्य नारायण दास जी ने भगवान की बाल सुलभ शकट भञ्जन लीला के तथ्य को प्रकाशित करते हुए कहा, संसार के कार्यों और सामजिक उत्सवों में व्यस्त होकर, यदि हम भगवान को उपेक्षित करेंगे, तो हमारी जीवन रूपी गाड़ी पलट जायेगी। यह घर-परिवार सब भगवान की वाटिका, हम उसके माली हैं, मालिक नहीं।सदा भगवान को आगे रखकर, संसार के कार्य करने चाहिए। बाल श्रीकृष्ण को नष्ट करने के लिए एक राक्षस तृणावृत का रूप लेकर उन्हें मारने आया, लेकिन वह मारा गया। यह एक प्रकार बवन्डर आँधी है जिसके आगे टिकना अत्यन्त दुष्कर होता है। हम सबके जीवन में भी आपत्ति- विपत्ति रूपी आंधी आती है, लेकिन धैर्यपूर्वक भगवान के नाम का सहारा लेकर, उसके वेग को सह लेना चाहिए, आगे का जीवन निश्चित ही भगवत्कृपा से मङ्गलमय होगा।  आ...

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह चतुर्थ दिवस प्रसंग

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हरिद्वार...30 मार्च..हरिद्वार सिटी न्यूज़ इंद्र कुमार शर्मा( ब्यूरो चीफ )..श्रीभरत मिलाप आश्रम, मायाकुण्ड, ऋषिकेश में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में आज मुख्यरूप से भक्त प्रह्लाद, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मन्थन, भगवद्भक्ति भूषण राजा अम्बरीश एवं भगवान् श्रीराम की कथा और भगवान कृष्ण के  जन्म तक की कथाएँ सानन्द सम्पन्न हुईं। कथा व्यास आचार्य नारायण दास जी  ने  उपदेशित किया कि भक्तप्रह्लाद जैसी दृढ़ भक्ति जिसके जीवन में होती है, उसकी रक्षा के लिए भगवान सदा आतुर और व्याकुल रहते हैं। कितनी भी विषमताएँ अथवा प्रतिकूलताएँ हमारे जीवन में आएँ फिर भी हमें सत्य और भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।  स्त्रीधर्म पर प्रकाश डालते हुए आचार्य प्रवर ने कहा- स्त्री परिवार की धुरी है, जिसके सदाचार से परिवार में सुख, शान्ति और  समृद्धि का वातावरण निर्मित होता है। मन,वचन और कर्म से पति की सेवा ही स्त्रियों का परमधर्म है। मर्यादित जीवनचर्या  ही  नारियों का बहुमूल्य आभूषण है। आचार्य जी ने कथ...

श्री भरत मिलाप आश्रम, माया कुंड में श्रीमद् भागवत कथा का तृतीय दिवस

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हरिद्वार 29 मार्च इंद्र कुमार शर्मा..हरिद्वार सिटी न्यूज़ (ब्यूरो चीफ)... परमपूज्य प्रातः स्मरणीय साकेतवासी परमतपस्वी श्रद्धेय रामकृपालु जी महाराज की कृपा से श्रीभरत मिलाप आश्रम, मायाकुण्ड, ऋषिकेश में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य नारायण दास जी बताया सत्सङ्ग से विमुख होने के कारण ही आज परिवार-समाज में मनुष्यों के मध्य मनो मालिन्य परिव्याप्त हो रहा है। इसका एक मात्र कारण है- अपने कर्तव्य के प्रति उपेक्षा तथा दूसरों से सम्मान की लालसा। मनुष्य अपने कुटुम्बियों से , परिजन-मित्रों, सुहृद-सम्बन्धियों और परिचितों -अपरचितों से सम्मान की बहुत अपेक्षा रखता है, किन्तु स्वयं स्नेह, त्याग और परोपकार से अति दरिद्र है।   आचार्य जी राजा पृथु के चरित्र के माध्यम से जीवन दर्शन और जीवन प्रबन्धन पर प्रकाश डालते हुए कहा- राजा ने अपनी प्रजा को जो उपदेश दिया है, वह जीवन और जगत के यथार्थ स्वरूप का बोध कराने वाला है। अपने कर्तव्य के प्रति सजगता, विनम्रता और पवित्रता ही मनुष्य को लोक में उसके व्यक्तित्व को सुप्रतिष्ठित ...

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह का द्वितीय दिवस...

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 हरिद्वार 28 मार्च...इंद्र कुमार शर्मा... हरिद्वार सिटी न्यूज़( ब्यूरो चीफ)...श्रीभरत मिलाप आश्रम, मायाकुण्ड, ऋषिकेश में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य नारायणदास जी ने बताया राज परीक्षित् जी शुकदेव जी से अपने आत्म कल्याण के दो प्रश्न किए, १- जिसकी मृत्यु निकट हो, उसके लिए क्या श्रेयस्कर है? और दूसरा आत्मकल्याण के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए? https://youtu.be/hj6nO4owvKg?feature=shared श्रीमद्भागवत में इन दोनों प्रश्नों में जनसामान्य के जीवन के दार्शनिक तथ्य निहित है। प्रायः समाज में यह देखने-सुनने में आता है कि व्यक्ति संसार के नश्वर पदार्थों को भोगने में यह भूल जाता है कि उसे भी एक दिन इस संसार से कूच करना है।https://youtu.be/hj6nO4owvKg?feature=shared महाराज भर्तृहरि जी ने मानव को सचेत करते हुए कहा है- "भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः" हमने भोगों को नहीं भोगा अपितु भोगो ने हमको भोग लिया। राजा परीक्षित् के प्रश्नों को सुनकर शुकदेव महाभाग ने उनको साधुवाद देते हुए कहा हे राजन्! आप के दोनों प्रश्न बहुत श्रेष्ठ हैं, क्यों...

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह शुभारंभ...

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हरिद्वार...इंद्र कुमार शर्मा...हरिद्वार सिटी न्यूज़ (ब्यूरो चीफ)...भरत मिलाप आश्रम में *श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ* का शुभारम्भ हुआ। कथा व्यास आचार्य नारायण दास महाराज ने आज श्रीमद्भागवत माहात्म्य के महात्म्य की कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा- जहाँ- जहाँ श्रीमद्भागवत की कथा होती है, वहाँ-वहाँ समृद्धि का वास और सुमङ्गल का वातावरण निर्मित हो जाता है। तीनों प्रकार के तापों का शमन हो जाता है। कलिकाल में मनुष्य केवल दो-चार लोंगो तक ही सीमित रह गया है। अपने स्वार्थ को ऊपर रखता तथा अन्य धार्मिक-सामाजिक सुकृत्यों को पीठ दे देता है। मानवीय मानबिन्दुओं के संवर्धन-संरक्षण का सुन्दर सरस और मधुर मार्गदर्शन श्रीमद्भागवत के श्रवणमात्र मात्र से हृदय में सहज ही सुप्रतिष्ठित हो जाता है। यह कथा व्यक्ति को अपने सांसरिक कर्तव्यों और दायित्वों  का निर्वाह करते हुए, अपने आत्मकल्याण के प्रति प्रेरित करती है। इसमें बारह स्कन्ध के अन्तर्गत 18000 श्लोक हैं। https://youtu.be/nMTIV1AaiCc?feature=shared का अर्थ है- जो भगवान का है अथवा भगवान जिसके हैं। मन की शुद्ध...